सबसे बडा़ काम।

याँद शहर से एक ख्वाब चुराते है ,
जो देखा हमने कल सपना था वो आपको सुनाते है।

बरसात का मौसम है.... 
भीगी भीगी सड़के है और सुहानी शाम है ,
इस तरफ हम खड़े हे सड़क के और उस तरफ एक चाय की दुकान है। 

बीच सड़क में गाड़िया निकल रही है....
गाड़ी की आती लाईट मे ध्यान मेरा भटका ,
उस दुकान पर काम कर रहा था एक छोटा सा मासुम सा लड़का। 

हमने भी इशारा करके फिर चाय का ओर्डर फरमाया,
मालिक ने फिर लड़के से कहा, जा साहब को चाय पिलाया ।

कदम बड रहे थे उसके, उस अंधेरी शाम मे,
वही चप्पल भी नही पहनी थी उसने अपने पांव मे। 

गिरता संभलता वो लड़का मेरे पास आया ,
थमा कर चाय का ग्लास हाथ मे हल्का सा मुस्काया। 

मुझे भी उसे देखकर बडा़ ही मजा आया ,
मेने फिर उसको अपने पास में बिठाया ,
कुछ बाते पुछी उससे और कुछ में उसे बतलाया। 

तो क्या कहता है वो लड़का सुनो उसकी ही जुबानी ,
पड़ लिख लिया होता अगर में तो होती मेरी भी अलग कहानी। 
आप ही की तरह मैं भी यहाँ पर चाय पीने आता, 
खरा सौदा करके सेठ को सिगरेट का धुँआ उडा़ता। 

इतने मे पिछे से सेठ की आवाज आई और डरता हुआँ भागता हुआँ वो लड़का चला गया, 
देखो सपने अधुरे छोडकर वो अपने काम करने चला गया। 

ᵞᴬᴬᴰᴼ ᴷᴬ ᴵᴰᴵᴼᵀ ᴮᴼˣ

Comments